Marconi biography in hindi
गुग्लिल्मो मारकोनी की जीवनी । Life of Guglielmo Marconi
गुग्लिल्मो मारकोनी की जीवनी । Biography of Guglielmo Marconi in Hindi Language!
1. प्रस्तावना ।
2. जीवन परिचय एवं उपलब्धियां ।
3.
When was hannibal lecter bornउपसंहार ।
1. प्रस्तावना:
संचार व्यवस्था के क्षेत्र में टेलीफोन, टेलीग्राफ ने जो क्रान्ति-सी ला दी थी, उसके बाद बेतार के तार के आविष्कार ने तो विद्युत ऊर्जा एवं संचार के क्षेत्र में नया आयाम प्रस्तुत किया । वैसे हम यह जानते हैं कि गुग्लिल्मो मारकोनी ने जिस बेतार के तार का आविष्कार किया, उसका श्रेय तो सर जगदीशचन्द्र बसु नामक महान् भारतीय वैज्ञानिक को ही मिलना था । गुलामी की कीमत बसु को आखिर चुकानी ही पड़ी । यह आविष्कार उनके नाम पेटेन्ट न होकर मारकोनी के नाम ही हो गया । इटली के मारकोनी के इस आविष्कार को मान्यता मिली ।
2.
जीवन परिचय एवं उपलब्धियां:
मारकोनी का जन्म 25 अप्रैल, 1874 को इटली के बोलोग्ना में हुआ । उनके पिता गुसिप्पे एक बड़े जमींदार थे । उन्होंने अपनी पहली पत्नी के निधन के उपरान्त अपने से 21 वर्ष छोटी एनी जेन्सन से भागकर विवाह किया ।
5 वर्ष के मारकोनी का पालन-पोषण एनी ने किया । बचपन से ही कुलीन तथा शान्त स्वभाव के मारकोनी प्रकृति में खोये रहते थे । उन्होंने प्रारम्भिक पढ़ाई बोलोग्ना में और तकनीकी पढ़ाई लेघोर्न के तकनीकी विद्यालय में पूरी की ।
यहां उन्होंने भौतिक शास्त्र के सिद्धान्तों का अध्ययन किया । विज्ञान के प्रोफेसर के यहां प्रयोगशाला में उन्हें शोधकार्य करने की अनुमति मिली, तो उन्होंने अपना सारा ध्यान इसी में लगा दिया । एक विज्ञान पत्रिका में उन्होंने रेडियो वेव थ्योरी पर लेख पढा कि हवा में भी 1 लाख 86 हजार प्रति सैकण्ड की गति से तरंगें चलती हैं । अत: उन्होंने रेडियो तरंगें भेजने के लिए शोधकार्य शुरू कर दिया ।
गिने-चुने उपकरणों की सहायता से उन्होंने सर्वप्रथम अपने घर की छत से बटन दबाकर माता-पिता को सन्देश भेजा । उन्होंने संकेत प्राप्त करने के लिए संयन्त्र बनाकर अपने भाई अलंसो को पहाड़ी पर भेजा । टेलीग्राफी भाषा में अंग्रेजी के एस दर्शाते 3 डॉट में संकेत दिये और वह संकेत अलंसो ने दोहरा दिये । इस तरह रेडियो संकेत का आविष्कार हुआ ।
प्रारम्भिक शोधकार्य में वह मील तक बेतार के तार का सन्देश नुाएज पाये । 1896 में 2 मील की दूरी तक का सन्देश, फिर सन् 1898 में इंग्लिश चैनल के पार महारानी विक्टोरिया ने ओसवार्न हाउस से प्रिंस ऑफ वेल्स के पास एक सरकारी जहाज पर कार्यरत सन्देश भेजा । इस तरह 74 मील के फासले पर जलपोत द्वारा बिना तार के सन्देशों का आदान-प्रदान करने में सफलता अर्जित की ।
1924 में मारकोनी ने बेतार के तार की लहरियों, अर्थात् वायरलेस वेव से सन्देश भेजा । उन्होंने कम शक्तिशाली ट्रांसमीटर बनाकर पोप के महल तथा वेटिकन सिटी के बीच सम्पर्क स्थापित कर दिया । इस तरह लगातार किये जाने वाले अपने प्रयोगों द्वारा मारकोनी ने इस पार से उस पार नियमित वायरलेस संचार सेवा को जन्म दिया ।
उनकी इस खोज ने पृथ्वी पर स्थित बेतार के तार की शक्ति द्वारा आकाश में उड़ने वाले वायुयानों को नियन्त्रित तथा संचालित करने में सफलता प्राप्त की । इस तरह मारकोनी ने दुनिया के समस्त संचार का माध्यम रेडियो कंपनों पर आधारित कर दिया । आज वायरलेस सेट, मोबाइल इत्यादि का धुआधार प्रयोग मारकोनी की खोज के द्वारा ही सफल हुआ ।
मारकोनी ने अपनी इस महान् खोज के लिए समस्त विश्व से कई पुरस्वगर, सम्मान प्राप्त किये । सन् 1902 में इटली सरकार द्वारा, 1903 में रोम सरकार द्वारा सम्मान मिला । 1909 में उन्हें भौतिक शास्त्र का नोबल पुरस्कार मिला । सन् 1915 में उनको इटली की सीनेट का सदस्य भी बनाया गया ।
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उपसंहार:
मानवता के लिए समर्पित रहने वाले मारकोनी ने यह साबित किया कि रेडियो तरंगें वायुमण्डल की ऊपरी सतह तक जाकर फिर वहां से परावर्तित होकर आती हैं । रात में दूरसंचार दिन की अपेक्षा अधिक आसान होता है ।
दूरसंचार को नयी दिशा देने वाले मारकोनी ने 1905 में आयरलैण्ड की बैट्रिसओबायन से विवाह किया, जिससे उन्हें एक लड़का और दो लड़कियां हुईं । तलाक के उपरान्त उन्होंने 12 जून, 1992 को इतावली लड़की मारिया किस्ट्रीना बेजी स्केली से विवाह किया, जिससे इलेक्ट्रा नामक पुत्री हुई । मारकोनी ने 200 फुट लम्बे भाप इंजन से चलने वाले यार्ट को अपनी प्रयोगशाला बनाया, जिसका नाम उन्होंने इलेक्ट्रा रखा था ।
आजीवन प्रयोग के लिए समर्पित मारकोनी को 1936 में एक बार दिल का दौरा पडा । रोम वाले मकान में 19 जुलाई, 1937 को उन्हें दिल का ऐसा तेज दौरा पडा कि वे कभी उठ नहीं पाये । इटली सरकार ने पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अन्तिम संरकार करते हुए उनकी इच्छानुसार ही उन्हें पैतृक स्थान बोलोग्ना में दफनाया ।
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